भारतीय नर्सों की डिमांड दुनियाभर में बढ़ रही है। भारत के मुकाबले नर्सों को यूरोप और अमेरिका जैसे देशों में लाखों रुपये महीने सैलरी मिल रही है। नर्सों की सबसे ज्यादा कमी विकसित देशों में देखी जा रही है। बता दें कि पिछले साल 70 हजार से 1 लाख भारतीय नर्सें विदेश गई हैं। वहीं इस साल उनकी डिमांड 15-30% बढ़ने वाली है। एक्सपर्ट की मानें, तो आने वाले सालों में नर्सों की डिमांड बढ़ने वाली है। क्योंकि बूढ़ी होने वाली आबादी के कारण कई देश देखभाल के लिए नर्स चाहते हैं।
इटली, जर्मनी और जापान जैसे देशों में बड़ी संख्या में नर्सों की भर्ती की जा रही है। वहीं ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों में भी नर्सों की नौकरियों की भरमार है। वहीं नर्सों को नौकरी देने वाले देशों में कतर, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब आदि शामिल हैं। यह नर्स बनने के लिए सबसे अच्छा समय माना जा रहा है। दुनियाभर में करीब 6,40,000 के करीब नर्सें काम कर रही हैं।
नर्सों की कमी
एक्सपर्ट की मानें, तो भारतीय नर्सों की मांग विदेशों में काफी बढ़ी है। महीने दर महीने 20-30% भारतीय नर्सों की मांग में वृद्धि हुई है। यह दिखाता है कि एक साल में नर्सों की डिमांड दोगुना हो सकती है। दुनियाभर में नर्सिंग प्रोफेशनल्स की कमी है। WHO के अनुसार, साल 2030 तक 45 लाख नर्सों की जरूरत होगी। वहीं सबसे ज्यादा भारतीय नर्सों को हायर विकसित देश कर रहे हैं।
विदेश में मिल रही अच्छी सैलरी
क्वालिफाइड नर्सों के लिए विदेश में नौकरी पाना काफी आसान है। क्योंकि विदेश में उनको अच्छी सैलरी मिल रही है, साथ ही बढ़िया क्वालिटी ऑफ लाइफ, सिक्योरिटी और प्रोफेशनल ग्रोथ भी मिल रहा है। भारत की तुलना में विदेशों में भारतीय नर्सों को औसतन सात से दस गुना अधिक सैलरी मिलती है। वहीं पर्चेचिंग पावर पैरिटी के आधार पर भारत की तुलना में विदेश में मिलने वाली सैलरी तीन से पांच गुना ज्यादा है।